शहर में जयपाल सिंह नाम का स्टेडियम बर्बाद हो गया। उनके गांव में उनका घर ढह रहा है। उनकी कब्र भी गांव में उपेक्षित है। हम अपने नायकों का इसी तरह सम्मान करते हैं। जबकि बिरसा मुंडा के बाद जयपाल मुंडा ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिनकी आवाज देश में नहीं नहीं, विदेशों में भी गूंजती थी।
महात्मा गांधी, बाबू रामनारायण सिंह की स्वाधीनता आंदोलन में सक्रियता को देखकर बहुत प्रभावित हुए थे। गांधी ने इसका जिक्र बाबू रामनारायण सिंह को लिखे पत्रों में दर्ज किया। देश की आजादी के बाद गांधी की तरह बाबू रामनारायण सिंह भी चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी को विलोपित कर दिया जाय।
झारखंड के बीस वर्ष पूरे होने के ठीक चार दिन पहले थोड़ी-बहुत नोंकझोंक के बीच राज्य विधानसभा ने जनगणना काॅलम में आदिवासी सरना धर्मकोड दर्ज करने का प्रस्ताव पारित कर इसे लागू करने की गेंद केंद्र सरकार के पाले में उछाल दी। इस संवैधानिक कर्मकांड के लिए 11 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
इतिहास का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि संसार में समय-समय पर महान आत्माओं ने उत्पन्न होकर अपनी अमृतवाणी से जगत को प्रेम और शांति का संदेश दिया। भगवान राम, कृष्ण, गौतम बुद्ध, कन्फ्यूसियस, जीसस क्राइस्ट आदि ने अपने चरित्र से तत्कालीन संसार पर प्रभाव डाला।
ऐसा डॉ नीलम महेंद्र बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश की सड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनों को लेकर है।
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के जदयू में शामिल होते ही बक्सर विधानसभा सीट पर अब बीजेपी उम्मीदवार को लेकर संशय बरकरार हो गया है। जबकि 15वीं विधानसभा चुनाव के लिए हो रहे चुनाव में बक्सर विधानसभा का चुनाव प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को निर्धारित है।
डॉ गिरिधारी राम गौझू
आज स्वतंत्रता दिवस का 73वां वर्ष है। आइए आपको ले चलते हैं लोहरदगा थाना, डाकघर और हाई स्कूल लोहरदगा । दिन था भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 का । क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रहे थे छेदीलाल आजाद ।
'आत्मनिर्भरताÓ क्या है? इसे किस रूप में देखा जाय? स्वाधीनता के आठवें दशक में आज जब आत्मनिर्भर भारत की बात हो रही है तो इसका क्या मतलब निकाला जाय और इसे कैसे परिभाषित किया जाए?
विपक्ष और विरोध का बहुत घनिष्ट संबंध है। लेकिन कोई भी विरोध जब काल और परिस्थिति के अनुरूप होता है तो वह न सिर्फ बदलाव का द्योतक बनता है, बल्कि लोकतंत्र के इतिहास में उसे लम्बे समय तक याद भी किया जाता है। भारत की राजनीति में ऐसे अनेक विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिनका नाम आज भी बड़े गर्व से लिया जाता है।
55 घंटे के आंदोलन के बाद एक बार फिर टाना भगतों को आश्वासन मिला। इस बार राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन की ओर मिला है। कैबिनेट की बैठक में उनकी समस्याओं को रखेंगे। फिर इसके बाद समाधान की राह निकालेंगे। ऐसा नहीं कि उनकी कोई ऐसी समस्या है, जिसे मानना या पूरा करना संभव न हो, लेकिन विधि का विधान देखिए, इंदिरा से लेकर अब तक हर ...
अपने पुलिस करियर में कई जिलों में पदस्थापित रहा। इनमें अन्य जिले अगर कहानी थे तो तत्कालीन बिहार का पलामू जिला एक उपन्यास था। इसमें कई स्तरों पर सामानांतर चलती हुई कहानियां थीं, और अनेक अलग-अलग चरित्र या किरदार थे। एक और मदन कृष्ण वर्मा, हजारीलाल शाह, परमेश्वरी दत्त झा, पूरन बाबू जैसे चरित्र थे तो दूसरी और इनके ठीक विपरीत अनोखे चरित्र भी थे।
1936 में प्रकाशित जवाहरलाल नेहरु ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 'संगठित धर्म के प्रति मैने हमेशा दहशत ही महसूस की है। मेरे लिए धर्म हमेशा से रूढि़वादी, संकुचित और शोषण से भरा है जहां तर्क और औचित्य के लिए कोई जगह नही है।Ó
बिहार विधानसभा चुनाव यदि तय समय पर हुए, तब अगले दो महीने चुनावी घमासान के होंगे ,और इसी साल नवंबर में नई सरकार का गठन होगा . हालांकि बिहार की स्थिति भयावह है . लोगों में एक गहरी उदासी और गुस्सा है . बाढ़ तो खैर यहाँ लगभग हर वर्ष आती रही हैं ,लेकिन कोरोना के कहर ने पहले से ही बेहाल सूबे को कुछ और बदहाल कर दिया है ...
100 वर्षों तक निरंतर जूंझ कर राष्ट्र भक्तों की पीढ़ियां जो कश्ती निकाल लाई थी, आज वह नदी के किन लहरों पर है? उस कश्ती पर सवार कौन है? या किस घाट वह बंधी है? सच बड़ा कटु और मार्मिक है। आजादी के परवानों के वंशज, रिश्ते- नाते कहां और किन हालात में है ?
कोरोना महामारी की वजह से आज़ादी की सालगिरह पर सांस्कृतिक आयोजन तो नहीं होंगे लेकिन जश्ने आजादी को लेकर उत्साह में कमी नहीं रहेगी। हम ऐसे तमाम नायकों को याद करेंगे, जिन्होंने देश की आजादी में अपनी आहुति दी। जंगे आजादी के मशहूर नायकों को तो सब जानते हैं, मगर हजारों गुमनाम क्रांतिकारियों को बहुत कम लोग जानते हैं जिनके बलिदानों, संघर्षो और त्यागों को भुला दिया गया या जिनके ...
मंगलवार, 4 अगस्त को हुए एक बड़े विस्फोट में लेबनान के बेरुत शहर के बंदरगाह क्षेत्र में व्यापक क्षति हुई । लेबनान में बचावकर्मी मंगलवार को बेरूत में एक विनाशकारी विस्फोट में जीवित बचे लोगों की तलाश में मलबे में खुदाई और खोज कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 137 लोग मारे गए और लगभग 5,000 अन्य घायल हो गए। विस्फोट बंदरगाह पर एक गोदाम में रखे 2750 टन ...
गांधी के आह्वान का पुरअसर रांची में भी दिखा। अगस्त क्रांति की धमक पठार पर भी सुनी गई। छोटानागपुर व संताल परगना नौ अगस्त से लेकर 18 अगस्त धधकता रहा। रांची में नौ को हड़ताल रही। संध्या जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में तालाबंदी कर दी गई। इस आंदोलन में आदिवासियों ने भी भाग लिया था। टाना भगतो की बड़ी भूमिका रही।
अतुल शर्मा
कई शताब्दियों पहले, महान चीनी दार्शनिक सूर्य त्ज़ु ने देखा था: “पानी की प्रकृति ऐसी है कि यह ऊंचाइयों तक पहुंचता है, और जब एक बांध टूट जाता है, तो पानी अथक बल के साथ झरते हुए फिर तराई क्षेत्रों तक पहुँचता है और तब पानी का आकार सेना जैसा दिखता है। दुश्मन की असमानता का लाभ उठाएँ और जब उसे इसकी उम्मीद न हो तो उस पर ...
पाकिस्तान में बलूच राष्ट्रवादीयों पर पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी शासन द्वारा लगातार किए जा रहे दमन के चरमोत्कर्ष के बाद अपनी आज़ादी के लिए पाकिस्तानी सेनाओं पर लगातार हमलों में वृद्धि ने CPEC सहित चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजनाओं को जोखिम में डाल दिया है और इसके कारण लागतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जबकि अरब सागर में स्थित ग्वादर पोर्ट पर उसके रणनीतिक हितों को लेकर ...
झारखंड की राजनीति एक लाइन में लिखनी हो तो बस इतना ही काफी है, इसकी फितरत चुनाव पूर्व मैदान में और इसके बाद विधानसभा में दिलचस्प मोड़ लेती रही है। न चुनाव तक चैन, न चुनाव के बाद। बेचैन राजनीति राज्य को जितनी तसल्ली दे सकती है, उतना झारखंड को दे रही है। परिणाम, ब्यूरोक्रेसी में बार-बार बदलाव, वक्र्स और खैरात वाले विभागों में खूब दिलचस्पी, राशि का एकतरफा प्रवाह ...
मनोरंजननामा
चौराहा पर चर्चा ताजातरीन फिल्मों की