पांचवें शैलप्रिया स्मृति सम्मान के अवसर पर बोले डॉक्टर वीर भारत तलवार
'जब आप स्थापित मान्यताओं को चुनौती देने लगें, जब आप परंपराओं पर सवाल उठाने लगें, तब मान लीजिए कि बदलाव और क्रांति की शुरुआत यहीं से हो जाती है। वंदना टेटे की कविताएं यह काम करती हैं!' झारखंड का प्रतिष्ठित शैलप्रिया स्मृति सम्मान वंदना टेटे को दिए जाने के ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जाने-माने आलोचक और झारखंड विशेषज्ञ डॉक्टर वीर भारत तलवार ने यह बात कही।
उन्होंने वंदना टेटे की कविताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि ये कविताएं किस तरह अपनी परंपरा से मुठभेड़ ...
आज (5जनवरी)परमहंस योगानंद की जयंती है। उन्होंने पूरी दुनिया में क्रिया योग को फैलाया। खासकर, अमेरिका में स्थापित अपने आश्रम से लोगों को इस योग से परिचित कराया। अमेरिका में ही उनका निधन हुआ। इसका उन्हें पूर्वाभास भी हो गया था। ऐसे योगी थे, जिनके चेहरे पर मुस्कान मृत्यु के बाद भी बनी रही। उनके बाल काले ही रहे।
भारतीय समाज में शास्त्रों की अहम भूमिका के बावजूद गुरु के महत्व को उससे ऊपर रखा गया है। यह महत्व यहां भी परिलक्षित होता है किह शास्त्र और लोक, संत और आचार्य, ज्ञानी और मूरख सबने गुरु के महत्व को स्वीकार किया है।
शहर में जयपाल सिंह नाम का स्टेडियम बर्बाद हो गया। उनके गांव में उनका घर ढह रहा है। उनकी कब्र भी गांव में उपेक्षित है। हम अपने नायकों का इसी तरह सम्मान करते हैं। जबकि बिरसा मुंडा के बाद जयपाल मुंडा ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिनकी आवाज देश में नहीं नहीं, विदेशों में भी गूंजती थी।
नीलांबर कोलकाता द्वारा रेणु की कहानी संवदिया पर फिल्म का निर्माण
हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मशताब्दी वर्ष पूरे देश में मनाया जा रहा है। रेणु और उनके लेखन को केंद्र में रखकर देशभर की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है।
महात्मा गांधी, बाबू रामनारायण सिंह की स्वाधीनता आंदोलन में सक्रियता को देखकर बहुत प्रभावित हुए थे। गांधी ने इसका जिक्र बाबू रामनारायण सिंह को लिखे पत्रों में दर्ज किया। देश की आजादी के बाद गांधी की तरह बाबू रामनारायण सिंह भी चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी को विलोपित कर दिया जाय।
कविता को सृष्टि का स्पंदन कहा जा सकता है। इस सम्मोहक सृष्टि का श्री गणेश उसके रचयिता ब्रह्मा के मुख से निसृत मंगलाचरण अर्थात् कविता के मंगल-गान से ही हुआ। मनुष्य की हर धड़कन की अभिव्यक्ति का सामर्थ्य बोली की वाचिकता में होती है और पद्य बोलियों के सबसे नजदीक बैठता है।
लोकनामा